ले पंगा न्यूज डेस्क, चंदना पुरोहित। हाल ही में परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने यातायात नियमों के उल्लंघन पर बढ़ाएँ चालान से भी ज्यादा चर्चा का विषय है की ये लागू कैसे हो पाएगा। खुद एक देश एक कानून की बात करने वाली भाजपा सरकार भाजपा शासित राज्यों में तक अपने बनाए कानून को पूरी स्वीकृति नहीं दिला पाई। यातायात के नियमों को तोड़ना हमारे लिए आम बात हो गई है। इसी आदत को तोड़ने और यातायात से होने वाले हादसों पर लगाम लगाने के लिए यातायात जुर्मानों को बढ़ाया गया था। लेकिन इस नए कानून को लागू करने के 10 दिन के अंदर ही खुद सरकार ने उसका तोड़ ढूंढ निकाला। राज्य सरकारें कानून को लागु करना जरुरी नहीं समझ रही।
कानून को लागु करने से इनकार करने वाले राज्यों में सब से पहला राज्य, प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गृह राज्य गुजरात है। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने यातायात जुर्माने में भारी छूट का एलान किया है। गुजरात में जुर्माने राशि में 90 प्रतिशत तक की छूट दी गई है। वहीं भाजपा शासित बड़ा राज्य महाराष्ट्र ने भी कानून को लागु करने से मना कर दिया है। महाराष्ट्र में जल्द ही चुनाव होने वाले हैं इसलिए महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। बता दें की महाराष्ट्र केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का गृह राज्य है और वह अपने ही राज्य में नया कानून लागु करने में विफल रहे हैं।
उत्तराखंड, भाजपा शासित तीसरा राज्य जो नए मोटर व्हीकल एक्ट के जुर्माने को ज्यादा बता रहा है। उत्तराखंड में भी नया परिवहन कानून लागु करने से पहले जुर्माने की राशि को लगभग आधा कर दिया है। झारखंड में भी नए कानून के जुर्माने में कटौती के संकेत दिए हैं। वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर ने भी नए कानून को लागु करने से इनकार कर दिया है। हरियाणा में ट्राफिक नियमों के बजाय नई स्किम का ईजाद किया गया है। खट्टर सरकार अब यातायात नियम पालन जागरूकता अभियान चलाएगी। इसी तरह अन्य गैर भाजपा शासित राज्य हैं जो नए कानून के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।