ले पंगा न्यूज डेस्क, धीरज सैन। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजे आए हुए बहुत समय हो गया है। नतीजें आने के बाद कोई भी पार्टी महाराष्ट्र में अपना पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर पाई और सरकार बनाने में विफल रही। गौरतलब है कि पहले शिवसेना की जिद और उसके बाद राकांपा और कांग्रेस की रणनीति में प्रदेश की राजनीति इतनी उलझी कि नतीजा आने के करीब 18 दिन बाद आखिरकार वहां तीसरी बार राष्ट्रपति शासन लग गया।
गौरतलब है कि मंगलवार को ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए जाने से पहले पीएम मोदी ने केंद्रीय कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई है और महाराष्ट्र में कुर्सी को लेकर चल रहे घमासान पर चर्चा की। केन्द्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की सिफारिश की थी, जिसकी राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है। हालांकि महाराष्ट्र में सरकार बनाने का विकल्प अभी खत्म नहीं हुआ है।
वहीं, राज्यपाल के इस निर्णय के बाद शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। गौरतलब है कि शिवसेना ने राज्यपाल द्वारा सरकार बनाने की समयसीमा बढ़ाने से इनकार करने के खिलाफ याचिका दायर की है। खास बात ये है कि इस पूरी रस्साकसी में सबसे ज्यादा नुकसान शिवसेना को हुआ है। शिवसेना के अलावा कांग्रेस भी महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगने से भड़क गई है।